या फ़िर व्यक्तिगत अनुभव की एक बात आपकी नज़र मे लाना चाहूँगा कि कुछ ऐसी इंडस्ट्रीज होती है जंहा छंटाई का काम (बहुत से माल मे से काम का माल छाँट कर निकालना) करवाना पड़ता है जैसे पेपर इंडस्ट्री वंहा हर समय इस काम के लिए स्त्रियों को ही प्राथमिकता दी जाती है उनकी कुछ विशेषताओं के कारण.
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जिस बेफिक्री से वह बोलेगा उससे यही जाहिर होगा मानो हमारा दैनिक कार्य ही है, अच्छी अच्छी छाँट कर निकालना … मन तो करेगा कि इसे भी भट्ठी पर झोंक दूँ … फिर दूसरी दुकान पर छँटाई कार्य करूँ … लेकिन भुट्टे को देख, कुलबुला रहे मन पर नियंत्रण नही रहेगा और हम दूसरी दुधार दानेदार की खोज करने लगेंगे …